सत्यदेव कुमार
उसे मेरी याद आती तो होगी
वह जताती नहीं है मेरी तरह
किसी के पूछने पर मुस्कुराकर गम छिपाती तो होगी
उसे मेरी याद आती तो होगी
चौकना रहती होगी अपने गली के दरवाजे पर
उसे मेरी आने की आहट सुनाती तो होगी
पर मायूस हो जाती होगी न आने के इंतजार में
ऐसे ही दिल को रोज बहलाती तो होगी
उसे मेरी याद आती तो होगी
रात के अँधियारों में मेरी बीती -बात
चाँद-तारों में दुहराती तो होगी
कितना मुस्कुरापाती होगी मेरे गम में
अपने आँसुओ से तकिया भिगाती तो होगी
उसे मेरी याद आती तो होगी
मंजिले तो मैं तय कर रहा हूँ
पर मेरी संघर्षों पर सपने सजाती तो होगी
वो भी काबिल है मगर
मेरी काबिलियत के किस्से सुनाती तो होगी
उसे मेरी याद आती तो होगी
वो तो हमें पल -पल यादों में सताती है
ये जानकर वो मचल जाती तो होगी
और आयने में देखती होगी मेरे आने वाली सड़क को
फिर शर्माकर अपनी बिंदी लगाती तो होगी
उसे मेरी याद आती होगी