सत्यदेव कुमार
ऐ दिल तेरे पास होकर भी हम तन्हाई में हैं
तू थाम ले मेरे दिल को अपने दिल से
हम तेरे ही परछाई में हैं
तेरे हालत में हैं ,तेरे बात में हैं
ये चढ़ती-उतरती दिन- रात में हैं
मौनसून की बिछड़ती बरसात में हैं
ऐ दिल ,,तू थाम ले मेरे दिल को अपने दिल से
हम तेरे ही जज्बात में हैं
ऐ दिल रिश्तों को लिपटे हम भी हैं
अपने सिसकियों से तन्हाई को समेटे हम भी हैं
पर क्या करें तेरे साथ होकर तुम से दूर हम भी हैं
ऐ दिल ,,तू थाम ले मेरे दिल को अपने दिल से
मजबूर हम भी हैं