जमाने पहले -एक सफेद कागज- सी थी ऐ -जिंदगी ।
पर अब यादों का किताबें बन गई ऐ-जिंदगी ।
पर अब यादों का किताबें बन गई ऐ-जिंदगी ।
तुम इतना सफेद थी- एक सच्चाई की तरह
और तुझ से हर कोई करना चाहता था – बंदगी
पर पहले खूद के जज्बातों ने तुझे पे उकेर दिया ऐ -जिंदगी
अब तो सिलसिला चली हर कोई लिखता चला गया
और यादों का किताबें बन गई ऐ-जिंदगी
किसी ने मुस्कुराया ,किसी ने जताया
किसी ने अपना बनाया ,किसी ने ठुकराया ।
इस हर किसी के चक्कर में कहानी बन गई ऐ- जिंदगी
जिंदा हूँ और जिंदगानी बन गई ऐ -जिंदगी
यादों का किताबें बन गई ऐ-जिंदगी ।
तू दर्द है उन जज्बातों का –
जो सफेद कागज पर गजल बन गई -ऐ जिंदगी
पता नहीं लोग रोज ये कहते हैं -तुम और खूबसूरत हो
इस तरह खूद को जिंदा रखने की आदत बन गई हो ऐ-जिंदगी
हाँ जमाने पहले एक सफेद कागज -सी थी -जिंदगी
अब यादों का किताबें बन गई हो ऐ-जिंदगी ।