सत्यदेव कुमार तुम किताब- सी होती मैं तुम्हें पन्नों -सा पढ़ता तुम जिंदगी की हिसाब -सी होती मैं तुम्हें किताब -सा लिखता गुलाब -सी तुम होती इत्र -सा मैं महकता…
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POEM
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सत्यदेव कुमार हम वफ़ा के चिठियाँ पढ़ते रहे और उन्होंने बेवफ़ाई की किताब लिख दी हम तो रोज सवरते रहे दुल्हन की तरह और उन्होंने किसी और के दुपट्टे पे…
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सत्यदेव कुमार इश्क़ में ऐसी मेरी हलात है मेरा सभी कुछ मेरे पास है मुस्कुराने के हीं तो बात है उसके हँसी से मेरे इश्क़ की शुरूआत है थोड़े उनके…
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सत्यदेव कुमार वो मुझे इश्क़ में गिराकर संभाल लेती . तो गिरकर संभलना आ जाता । वो रोज सज्जती -सबरती है पर मेरी जिंदगी भी सवार देती , तो मुझे…
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सत्यदेव कुमार उसे मेरी याद आती तो होगी वह जताती नहीं है मेरी तरह किसी के पूछने पर मुस्कुराकर गम छिपाती तो होगी उसे मेरी याद आती तो होगी चौकना…