मजदूरी करने पर मजबूर हूँ । हाँ मजदूर हुँ । समाज का बोझ उठाता हूँ । धूप में भी पसीने से खुद को ठंडक पहुंचाता हूँ ये समाज भलें हीं…
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अचानक से मिली वो मुझे …. जैसे लगा वो तुम हीं हो…. ढूंढने लगा दिल की धधक से उस में तुम्हें …. वो नयन ,नख्श सब तराशा … पर तुम…
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मैं उनका शहर बना वो मेरी गाँव हो गई । मैं उनका शहरी छत बना वो मेरे लिए पीपल की छाँव हो गई मैं उनके शहर का सिर्फ एक अधिकारी…
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पत्थरों की आवाज गूँज रही है पत्थरों की आवाज गूँज रही है सुनो चुप हो जाओ ये जनता है नाराज घूम रही है जोर की शोर -शराबा है गंदी…
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तुम बड़े हो गये हो कहकर छीन लिया बच्चपन पर हमने खुलकर जिया नही ये पूछते रहती है चेहरे से दर्पण तुम बड़े हो गये हो कहकर ………… अब…
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सत्यदेव कुमार तुम किताब- सी होती मैं तुम्हें पन्नों -सा पढ़ता तुम जिंदगी की हिसाब -सी होती मैं तुम्हें किताब -सा लिखता गुलाब -सी तुम होती इत्र -सा मैं महकता…
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सत्यदेव कुमार हम वफ़ा के चिठियाँ पढ़ते रहे और उन्होंने बेवफ़ाई की किताब लिख दी हम तो रोज सवरते रहे दुल्हन की तरह और उन्होंने किसी और के दुपट्टे पे…
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सत्यदेव कुमार इश्क़ में ऐसी मेरी हलात है मेरा सभी कुछ मेरे पास है मुस्कुराने के हीं तो बात है उसके हँसी से मेरे इश्क़ की शुरूआत है थोड़े उनके…
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सत्यदेव कुमार वो मुझे इश्क़ में गिराकर संभाल लेती . तो गिरकर संभलना आ जाता । वो रोज सज्जती -सबरती है पर मेरी जिंदगी भी सवार देती , तो मुझे…
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सत्यदेव कुमार उसे मेरी याद आती तो होगी वह जताती नहीं है मेरी तरह किसी के पूछने पर मुस्कुराकर गम छिपाती तो होगी उसे मेरी याद आती तो होगी चौकना…